मूड स्व‍िंग, दर्द, खीझ… औरतों के लिए कैसे आसान होगी PMS से जंग, दुन‍िया में हो रहे हैं ये प्रयोग

ज्यादातर महिलाएं प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) फेस करती हैं. ये समय हर महिला के लिए एक जैसा नहीं होता. किसी को सिरदर्द, पेट में ऐंठन और थकावट होती है. सवाल ये है कि क्या PMS के लक्षणों से निपटने के लिए दवा ही इकलौता इलाज है? या फिर इसका कोई और दूसरा हल भी है?

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एक महिला के जीवन में आने वाला पीर‍ियड्स का वो समय जब शरीर में हलचल, मन में बेचैनी और मिजाज में बदलाव महसूस होता है. वो उसे अक्सर नॉर्मल कहकर देती हैं. कई बार कोई दवा खा लेने से आराम मिल जाता है तो कोई खानपान में बदलाव करके हर महीने आने वाला वो समय टाल देती हैं.

ये वो समय होता है जब ज्यादातर महिलाएं प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) फेस करती हैं. ये समय हर महिला के लिए एक जैसा नहीं होता. किसी को सिरदर्द, पेट में ऐंठन और थकावट होती है तो किसी को चिड़चिड़ापन, चिंता और डिप्रेशन जैसा अनुभव होता है. सवाल ये है कि क्या PMS के लक्षणों से निपटने के लिए दवा ही इकलौता इलाज है? या फिर इसका कोई और दूसरा हल भी है? आइए जानते हैं विशेषज्ञों की राय और पूरी दुनिया में पीएमएस की समस्या का हल खोजने की क्या कवायदें चल रही हैं

क्यों होता है PMS 
गाइनोकोलॉजिस्ट डॉ. श‍िखा दीक्षित कहती हैं कि PMS हॉर्मोनल बदलावों की वजह से होता है. खासतौर पर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के लेवल में उतार-चढ़ाव से ये बदलाव दिमाग पर असर डालते हैं और शारीरिक-मानसिक लक्षण पैदा करते हैं. उनके मुताबिक इलाज पूरी तरह व्यक्ति की तकलीफ की तीव्रता पर निर्भर करता है